क्या आप में अच्छाई जीवित है?

लेखक : रॉय ओक्सनिवाड

एक अच्छा जीवन जीने की कोशिश एक अंतहीन और थकाऊ भरा काम है। हम अपने बुरे कामों से दूर रहने के लिए संघर्ष करते रहते हैं। क्यों कि हम एक तटस्थ दुनियाँ में नहीं रहते हैं, बल्कि ऐसी दुनियाँ में जहाँ लालच, जरूरतें, और तकलीफ़ें हैं, हम हमारी पूरी एकाग्रता और शक्ति से अच्छे काम करने का प्रयास करते हैं। हम जानते हैं कि जीवन किस तरह जीना चाहिए लेकिन ये चीजें हम में बची हुई थोड़ीसी शक्ति को भी निकाल देतीं हैं। क्या परमेश्वर हमारे इस संघर्ष को समझते हैं? क्या वह हमारी कमज़ोरियों को अनदेखा करते हैं? या परमेश्वर हम से एक अलग प्रकार का जीवन जीने की उपेक्षा करते हैं - एक ऐसा जीवन, जहाँ हम में उचित कार्य या काम करने की शक्ति हो।

सृष्टि

परमेश्वर ने मानव जाति को दोषरहित या बिना कमज़ोरियों के बनाये थे। पहले मनुष्य - आदम और हव्वा - दोषहीन और सम्पूर्ण थे। वे अच्छे थे और अच्छाई करने के लिए वांछित थे, क्योंकि अच्छाई के तत्व पूरी तरह से उन में थे। उन में बुराई या दुष्टता का कोई नामोनिशान नहीं था। वास्तव में बाइबिल बताती है कि परमेश्वर ने मनुष्यों को बनाने के बाद, उन्होंने खुद कहा है कि उनकी रचना अच्छी थी। अच्छाई ने लोगों के लिए जीवन और दिशा दीया है।

परमेश्वर ने जिस प्रकार हमें रहने के लिए बनाया था उस प्रकार हम क्यों नहीं हैं?

पतन

आदम के समय से लेकर अब तक शैतान जो परमेश्वर का दुश्मन है, परमेश्वर की सृष्टि को नष्ट करने की कोशिश में है। शैतान ने आदम और हव्वा को परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करने के लिए बहकाय़ा, और वे उसके प्रलोभन से गिर गए। जब मनुष्यों ने परमेश्वर की बात नहीं मानी, तब दो बातें हुईं। सबसे पहली बात - बुराई उन में प्रवेश कर गई। उस समय से, हर व्यक्ति को उसके अंदर की बुरी और दुष्ट स्वभाव से संघर्ष करना पड़ रहा है। लेकिन यह बुरा स्वभाव परमेश्वर की सृष्टि के मूल योजना का हिस्सा नहीं था। दूसरी बात - परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करने की वजाह से मनुष्यों में अच्छाई मर गई थी। हम अच्छाई को तो समझते हैं, लेकिन हमारे भीतर अच्छाई को जीवित नहीं पाते हैं। वास्तव में, हमारे भीतर से उत्पन्न होनेवाली बुराई को दूर करते हुए, अच्छाई करने के लिए हमारी पूर्ण शक्ति से प्रयास करते रहते हैं। लेकिन जब हम थक जाते हैं या कोई हमें ठेस पहुँचाता है, तब हमारे अन्दर की बुराई अच्छाई पर हावी हो जाति है, और अच्छाई करने के लिए हमें प्रयास करने की आवश्यकता पड़ती है।

उदाहरण के लिए, एक पति जानता है कि उसे उसकी पत्नी से किस तरह का व्यवहार करना चाहिए। वह जानता है कि वह उस से प्यार करना चाहिए, और उस से अच्छी तरह से व्यवहार करना चाहिए। इस तरह वह जानता है कि उसे क्या करना चाहिए लेकिन वैसा करने में बहुत सारे बार विफल रहता है। इसी तरह, माता पिता अपने बच्चों के प्रति संवेदनशीलता और समझदारी के साथ रहने की कोशिश करते हैं, लेकिन अपने बच्चों से व्यवहार करने के वक़त अपना गुस्सा निकाल देते हैं, यहाँ तक कि बच्चों को उस तरह की बुराई कहीं और जाकर सीखने की ज़रूरत भी नहीं पड़ती है। हम उन्हें अच्छाई करने की शिक्षा दे सकते हैं, और लगातार सुधार सकते हैं, लेकिन हमारे उत्तम प्रयासों के बावजूद भी वे गलत काम करते रहते हैं।

हमारे जीवन की बुराइयों को नियंत्रण करने के लिए - हम और आप - क्या कर सकते हैं? हम में जो अच्छाई थी उसे पुनर्जीवित कैसे कर सकते हैं?

जीवन को बहाल करने का प्रयास

हमारे जीवन में अच्छाई को बहाल करने के लिए विभिन्न प्रकार के सुझाव लोग देते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि ज्ञान ही अच्छाई को प्राप्त करने की कुंजी है। लोगों को हम जितना अधिक उपदेश देंगे, वे उतने ही अच्छे और बेहतर बन जायेंगे। परन्तु लोग अपने ज्ञान और बुद्धि का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए या धोखा करने के लिए प्रयोग करते हैं। ज्ञान हमारे जीवन में अच्छाई को पुनर्जीवित नहीं कर सकती है।

दूसरे कुच लोग कहते हैं कि अनुशासन ही अच्छाई को प्राप्त करने की कुंजी है। अगर हम अपने जीवन, विचार, आदतें, अभ्यास, इत्यादि में अधिक अनुशासित रहें, तो हम बेहतर बनेंगे और अधिक अच्छे काम करेंगे। परन्तु हमारे निकटतम लोग जानते हैं कि हम वास्तव में किस तरह के व्यक्ति हैं। अनुशासन के माध्यम से हम अपने मन में एक नीजी दुनिया बना सकते हैं, लेकिन हम अभी भी इसी दुनिया में रहते हैं जो बुरी है। अक्सर अभ्यास हम में अच्छाई को पुनर्जीवित करने में अप्रभावी रहा है।

धर्म एक और विकल्प है। अगर हम किसी चर्च, मस्जिद, आराधनालय या मंदिर को जाएंगे, या कोई नया धार्मिक दृष्टिकोण को अपनाएंगे, तो शायद हम अच्छे लोग हो जाएंगे। आम तौर पर एक नये धर्म से हम दुनिया पर एक और दृष्टिकोण प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, वह हमारे भीतर एक नया जीवन की शुरुआत नहीं कर सकता है।

अंत में कुछ लोग कहते हैं कि, अच्छाई को प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प कानून ही है। यदि ऐसा विधान हो जो हमारे व्यवहार को नियंत्रित कर सके, विशेषकर हमारे नैतिक व्यवहार को नियंत्रित कर सके, तो हम बेहतर नागरिक बन जाऐंगे। परन्तु, अच्छाई करने की इच्छा हम में पैदा करने की बजाय अधिक नियम अधिक अत्याचार के कारण होते हैं। हमारे मानवी स्वभाव, हमारे व्यवहार और हमारे कार्यों को न्यायोचित ठहराने के लिए कानून के नियमों से बचने की तरीके ढूँढते रहता हैं। इसलिए कानून हमारे जीवन में अच्छाई नहीं ला सकती है।

ज्ञान, अनुशासन, धर्म, और कानून हमारे जीवन के लिए बहुत कुछ दे सकते हैं। ये सभी उपाय हमारे बुरे व्यवहार पर अंकुश लगाने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन वे हम में कभी अच्छाई को पुनर्जीवित नहीं कर सकते। वे केवल बाहर से प्रभावित करते हैं। जब हम अपने अंदर की बुराई को नियंत्रित करने पर ध्यान नहीं देते हैं, तब हम उसके प्रभावों का शिकार फिर से हो जाते हैं।

क्या “अच्छा” रहने के हमारे प्रयासों से हमें सिर्फ़ कुछ समय तक ही संतुष्ट रहना चाहिए?

क्या हम काफ़ी अच्छे हैं?

क्योंकि हर समय अच्छा रहना बहुत मुश्किल है, कई लोग यह निश्चित कर लेते हैं कि हर समय अच्छा रहना एक असंभव लक्ष्य है। वे कहते हैं कि कई अच्छे कामों को करके हम अपने बुरे कामों की भरपाई या मुआवजा कर सकेंगे। यह बात लगती ऐसी है कि मानो हमारे सभी काम एक पैमाने पर रखेगए हैं, और हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे जीवन में बुराई से ज्य़ादा अच्छाई का पलड़ा भारी रहे। इस तरह हमारा जीवन एक परिक्षा हो जाता है, कि हम बुराई से अधिक अच्छाई कर सकते हैं या नहीं।

बाइबिल कहती है कि परमेश्वर ने हमें एक उद्देश्य के लिए बनाया है, सिर्फ़ एक परीक्षण करके देखने के लिए नहीं कि हम बुराई से ज़्यादा अच्छाई करते हैं या नहीं। परिपूर्ण अच्छाई के सात जीने वाला जीवन ही एक सच्चा जीवन है, जिस केलिए परमेश्वर ने हमें बनाया है। परन्तु उस के लिए पहले हमारे भीतर अच्छाई को पुनर्जीवित होना चाहिये।

तराजू के बजाय हमारा जीवन एक भराहुआ गिलास की तरह है जो उन सारे अच्छे कार्यों से ऊपर तक भराहुआ है जिन्हें परमेश्वर हम से करवाना चाहता है। जब हम कोई अच्छा कार्य करते हैं - जो हम से संभव श्रेष्ठ से श्रेष्ठ कार्य हो - तौभी हमारे लिए कुछ गर्व की बात नहीं है, क्योंकि हम हमारी तरफ़ से उस गिलास में कुछ भी नहीं जोड़ते हैं, हम तो सिर्फ़ अपने कर्तव्य कर रहे हैं, जो हमारे लिए परमेश्वर का उद्देश्य है।

कई बार, हम अपने गिलास से निकालते हैं, और इस तरह हमारे जीवन में परमेश्वर की योजना को नहीं कर पाते हैं। यह तब होता है जब हम एक बुरा काम करते हैं, या अच्छा काम करने का मौका छोड़ देते हैं। यह तब भी होता है, जब हम एक अच्छा काम को हमारे स्वयं लाभ या इच्छाओं के लिए करते हैं। उदाहरण के लिए, हम अपने जीवन साथी से कुछ प्राप्त करने केलिए उस के साथ दया से भरा व्यवहार कर सकते हैं, लेकिन इस तरह करने से वास्तव में अच्छाई से रहने की परमेश्वर की उस योजना को हम खो देते हैं। हमारे पूरे जीवन में, हम उस गिलास से नेकालते रहते हैं, और अंत में वह अच्छा जीवन नहीं जी पाते हैं जो हमारे लिए परमेश्वर की योजना है।

एक अच्छा इन्सान बनने के लिए हमारी एक मात्र उम्मीद परमेश्वर ही है, जिसने हमें सृजा है। परमेश्वर हमारी मदद कैसा करेगा? बुराई को नियंत्रित करके अच्छाई को जीवित करने के लिए उसने क्या किया है?

परमेश्वर का हल

परमेश्वर के पास दुनिया के सभी लोगों को बुराई के बिना फिर से बनाने की शक्ति है। परन्तु ऐसा करने के बजाय, वह अपनी रचना का सम्मान करके उसे संरक्षित रखा। हमारे जीवन में दखल देने के लिए उसने दूसरे तरीके से अपनी शक्ति का उपयोग करने का निर्णय किया है। मनुष्यों पर शैतान की पकड़ जो है, उसे वह नष्ट करके हमें एक नया जीवन देता है ताकि हमारे भीतर अच्छाई फिर से जीवित हो।

यह दुनिया जिसे परमेश्वर ने बनाया है, परमेश्वर और शैतान के बीच में एक युद्धक्षेत्र का समान है। परमेश्वर ने यीशु मसीह को इस दुनिया में इसलिए भेजा ताकि शैतान और उसके कामों का सामना करें। शैतान ने अपने सारे तरकीबों को यीशु मसीह पर आज़माया था। यीशु मसीह को गलत समझकर भ्रष्ट लोगों ने उन्हें सताया। उनकी लोकप्रियता को झूठ के द्वारा नष्ट किया। अंत में, शैतान ने यीशु मसीह को एक अन्यायी सरकार को इस्तमाल करके उन अपराधों केलिए मार दिया था जो उन्होंने कभी नहीं किया। यह सारी दुष्टता को यीशु मसीह ने स्वयं अपनी इच्छा से अपने ऊपर लेलिया, लेकिन शैतान उन्हें कभी हरा नहीं पाया। उन्होंने कभी भी बुराई के बदले में बुराई नहीं किया बलकि अच्छाई से बुराई पर विजय पाया।

शैतान को हराने के लिए यीशु मसीह ने जानबूझकर मृत्यु को भी अनुभव किया था जो शैतान का आखरी हथियार था, और उस पर भी विजय पाया। फिर से जी उठने की वजह से यीशु ने यह दिखा दिया कि आप शैतान से भी अधिक शक्तिशाली हैं। इस दुनिया में अब तक के जीवित लोगों में केवल यीशु मसीह ही एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हों ने बुराई और मौत पर विजय प्राप्त किया है।

यीशु मसीह ने दिखा दिया है कि वे शैतान से ताकतवर हैं। यीशु मसीह शैतान की ताकतवर बंधनो को तोड़े हैं, जिस वजह से हमें जीवन देने की शक्ति उनके पास है। केवल वे ही हैं जो हमरे अंदर की अच्छाई को फिर से जीवित करसकते हैं।

बुराई पर विजय प्राप्त करनेवाली अपनी शक्ति को हमें यीशु कैसे देते हैं?

यीशु मसीह के पीछे होना

एक समय एक व्यक्ति था जो दावा किया था कि वह कारागार और उसके सभी पहरेदारों से भी अधिक ताकतवर है। इस बात को सुनकर कारागार के पहरेदारों ने उस व्यक्ति को बन्दी बनाने गए, लेकिन वो वहाँ से गायब हो गया। क्या वह व्यक्ति सचमुच कारागार के पहरेदारों से अधिक ताकतवर था?

एक और व्यक्ति था जिस ने दावा किया कि वह कारागार और उस के सभी पहरेदारों से भी अधिक ताकतवर है। जब पहरेदारों ने उस व्यक्ति को बन्दी बनाने गए, उस ने बाहर आकर उनसे मिला। वे उसे बन्दी बनाये और उसे बुरी तरह मारे, उसे बान्धे और कारागार के कोठरियों के सब से पिछले तहखाने में डालदिये। दरवाजे पर पहेरेदारों को छोड़कर वहाँ उस को बंद कर दिये। कारागार के अधीक्षक अपने दोस्तों के साथ अपने कार्यालय में बैठे हुए उस व्यक्ति पर और उस के दावों पर हँस रहे थे।

लेकिन उनकी हँसी ज्यादा देर नहीं रही। जल्द ही वे कारागार के भीतर से आवाज़े सुनीं। उस व्यक्ति ने अपनी जंजीरों को तोड दिए, धक्का देकर दरवाजा खोलकर पहरेदारों को एक तरफ फेंका और एक एक करके कारागार की सारी कोठरियों को खोल देते हुए कहा कि "जो कोई भी इस कारागार को छोड़कर आना चाहता है वह मेरे पीछे आए"।

कैदियों में से कुछ लोग डरगए थे, कि अगर वे इस व्यक्ति के साथ जुड गए और अगर वह पकड़ा जाता, तो उनको भी उसके साथ साथ पहले से भी बुरा अत्याचार (या यंत्रणा) भुगतना पडेगा। लेकिन बाकी लोगों ने कहा, "देखो, वे पहले ही उसके साथ जितना बुरा कर सकते थे उतना तो कर चुके, और उसने भी दिखा दिया था कि वह उनसे अधिक ताकतवर है। इसलिए मैं उसके साथ बाहर जा रहा हूँ''। जो लोग उनके साथ कारागार से बाहर निकले थे वे लोग जानगए कि कोठरियों के दरवाजे खोलने की और रास्ते में आनेवाले पहरेदारों को हारादेने की शक्ति को उस व्यक्ति ने उन्हें भी प्रदान किया है। अंत में, वे उसके पीछे उसके धार्मिकता के राज्य तक चलेगए।

यीशु मसीह ने वादा किया है कि जो कोई भी उन पर विश्वास करते हैं और उन्हें अपने जीवन में स्वीकार करते हैं, उन में अच्छाई को पुनर्जीवित करेंगे। यह वही कैदी है जो पीटा गया था और फिर भी बुराई की कारागार से बच निकला है। वे हमें उनके साथ अच्छाई के एक नए जीवन में बुला रहे हैं।   
क्या होता है जब हम यीशु मसीह का अनुसरण करते है?

यीशु मसीहा में जीवन

ब यीशु मसीह हम में अच्छाई को फिर से जीवित कर देते हैं, हम सही विकल्प बनाने के लिए स्वतंत्र होते हैं। तब हम में बाहरी रूप के बजाय अंदर से ही अच्छे काम करने की इच्छा रहती है। हम में अच्छाई करने की एक नई शक्ति रहती है। बाइबिल कहती है कि हम पूरी तरह से नए लोग बन जाऐंगे। परमेश्वर ही हमारे इस नए जीवन का आधार है।

हमें अभी भी एक समस्या है। हमारे अंदर की बुराई अभी भी हम में जीवित है। स्वर्ग में, परमेश्वर हम में से वह बुरा स्वभाव को पूरी तरह से निकालकर, वही हालत में पुनर्स्थापित करने का वादा करता है, जिस में वह हमें आदि में सृजा था। तब तक हमरे अंदर अच्छाई और बुराई के बीच एक संघर्ष होते ही रहेगा।
काई बार बाहरी दबावों की वजह से हमें समझौता भी करना पड़ता है। जिस दुनिया में हम रहते हैं वह तटस्थ नहीं है। अपनी परिस्थितियाँ और दुनिया के लोग भी हमें समझौते करने के लिए प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, हमारे सहकर्मी नहीं चाहते हैं कि हम उनके बारे में अपने मालिक से कहें कि वे समय पर काम को नहीं आते हैं, या काम से चीज़ें चुराकर उन्हें धोखा दे रहे हैं। वे चाहते हैं कि हम भी उनकी तरह ही करें, ताकि हम उनके बारे में मालिक से ना कहें। शैतान भी हमारे नए जीवन का विरोध करता है। वह हमें नष्ट करना चाहता है, और हमें झूठ के सहारे धोखा देने की कोशिश करता है।
परमेश्वर ने इस संघर्ष में हमारी किस तरह सहायता की है?

इस नए जीवन को जीना

इन हालातों का सामना खुद करने के लिए परमेश्वर हमें छोड़ नहीं दीया है। परमेश्वर ने यीशु मसीह के द्वारा हमारे अन्दर अच्छाई को पुनर्जीवित किया है। इतना ही नहीं बल्कि वह हमें इस नए जीवन जीने के लिए पर्याप्त से अधिक प्रदान किया है। एक परिपूर्ण और सार्थक नये जीवन को प्रदान करने के लिए परमेश्वर ने हमें तीन बहुत महत्वपूर्ण तत्व दिए हैं : बाइबिल, अपने पवित्रा आत्मा और एक नया समुदाय जिसे कलीसिया कहते हैं।

बाइबिल हमारे जीने के लिए मार्गदर्शन है। यह शैतान के सब झूठों का मुकाबला करती है। इस में हम केवल परमेश्वर की व्यवस्था को ही नहीं पाते हैं, बल्कि यह इस दुनिया और हमारे जीवन के बारे में परमेश्वर का दृष्टिकोण भी है। बाइबिल परमेश्वर का वचन है, और यह हमें परमेश्वर की इच्छा को समझाने में मार्गदर्शन करती है। इसके बिना हम हमारी ज़िंदगी में नजरिए या परिप्रेक्ष्य खो देंगे। क्योंकि हम तटस्थ नहीं हैं, हमें हमारे विचारों को प्रभावित करने के लिए परमेश्वर के वचन की जरूरत है।

पवित्र आत्मा परमेश्वर का आत्मा है। जब हम यीशु मसीह से नया जीवन प्राप्त करते हैं तब वह हमारे भीतर निवास करना शुरू करता है। मसीह में जीवित उस व्यक्ति को पवित्र आत्मा बताता है कि उसके कौन से विचार और कार्य परमेश्वर के मार्ग के विरुद्ध हैं। इस तरह परमेश्वर खुद ही उस व्यक्ति में रहता है, जिस वजह से वह शैतान और उसके दुष्ट आत्मों से नहीं डरता। जब वह व्यक्ति अपने भीतर के पवित्र आत्मा की आवाज सुनता है, तब वह सही निर्णय करेगा और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चल सकेगा।

कलीसिया परमेश्वर के लोगों का समुदाय है। हम एक नए परिवार का सदस्य हैं, जो परमेश्वर का परिवार है। विश्वासियों का यह समुदाय कई उद्देश्यों के लिए काम करता है। कलीसिया विश्वासियों में मसीही जीवन का नया रूप देता है। यह हमें उन लोगों के उदाहरण भी देती है जो बड़े से बड़े मुशक़िल समय में भी, अपनी दैवी विधेयता के लिए बड़ी क़ीमत अदा करके पवित्र आत्मा का अनुसरण करते हैं। ये उदाहरण उन लोगों केलिए सकारात्मक आदर्श बनते हैं जो अपने मन फिराव के बाद मसीह में विश्वास करते हैं। और जब हम अपने नए जीवन के खतरनाक रास्तों से गुज़रते हुए संघर्ष करते हैं, तो ख़ुदा की कलीसिया हमारा प्रोत्साहन और मदद करते हुए इस नए जीवन में दिशा करती है।

अगर इन तीन अंशों या हिस्सों में से कोई एक भी मौजूद नहीं हो, तो वह नये मसीही विश्वासी बहुत आसानी से शैतान के द्वारा बिछाया गया जाल में गिर सकता है। परमेश्वर के द्वारा दिये गए बाइबल, पवित्रा आत्मा और कलीसिया की मदद के बिना इस दुनिया में बुराई का विरोध करना असंभव है।
क्या मसीह में यह नया जीवन हमें न्याय के दिन के लिए तैयार करता है?

न्याय का दिन

हम अक्सर सोचते हैं कि परमेश्वर हमारा न्याय और दंडाज्ञा हमारे अच्छे या बुरे कामों के अनुसार करेगा। हालांकि, हम वही करते हैं जो हमारे अंदर रहती है। हमारे भीतर उनका नया जीवन है या नहीं, इसी के अनुसार परमेश्वर हमारा न्याय और दंडाज्ञा करेगा। अगर हमारे भीतर यह नया जीवन है, तो न्याय के दिन परमेश्वर हमारे अंदर की बुराई को हटा देगा। तब हम उसी तरह से बन जायेंगे जैसे परमेशवर ने वास्तव में हमें बनाया था, और वह हमें स्वर्ग में ले जाएगा। यदि हमारे भीतर परमेश्वर का यह नया जीवन नहीं है, तो हम में जो अच्छाई की समझ है वह हमारे अंदर से हटा दिया जाएगा, और हमें नरक में भेजा जाएगा, जो ऐसी जगह है जो शैतान और उसके दुष्ट आत्मों के लिए है।

क्या आप में मसीह का यह “नया जीवन” है? क्या आप वास्तव में एक अच्छा इंसान बनना चाहते हैं?

आपका निर्णय

अधिक धर्म, ज्ञान, अनुशासन, या कानून एक व्यक्ति को नया जीवन नहीं दे सकते हैं। अगर आप के अंदर यह नया जीवन प्रवेश करना चाहिए, तो पहले शैतान की शक्ति को तोड़ने की आवश्यकता है। कोई नबी, गुरु, धर्म या साधु आप को यह नया जीवन दे नहीं सकते हैं; या शैतान और उसके बुरे असर से आप को पर्याप्त रूप से बचा नहीं सकते हैं।

यीशु मसीह ने जो आप के लिए किया है वही वास्तव में एक अच्छा जीवन जीने की कुंजी है। वे एक परिपूर्ण जीवन जीए। उन्होंने बुराई की शक्ति को ख़ुद अनुमति दिया था, ताकि उन्हें मार ड़ाले, लेकिन फिर से जीवित होने के द्वारा शैतान की शक्ति पर परिपूर्ण विजय पाए। अब, येशु मसीह सब को यह नया जीवन देना चाहते हैं जो उस के लिए उन से पूछते हैं। बाइबिल कहती है कि “परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया” (यूहन्ना 1:12)। आप को सिर्फ उनसे इस नये जीवन का माँग करना है; और उस केलिए उन पर विश्वास करना है। जो कोई उन पर विश्वास करंगे, वे नए सिरे से पैदा होंगे और उनके पुत्र बनेंगे। जब हम परमेश्वर का नया परिवार में लाए जाते हैं, तो हमारे पिछले जीवन की शर्म को पूरी तरह वह निकाल देता है।

अंग्रेज़ी मूल : Does Goodness Live In You?

 


परिचयात्मक लेख

आन्सरिंग इस्लाम हिन्दी